- Author, दीपाली जगताप
- पदनाम, बीबीसी मराठी संवाददाता, बदलापुर से
"चंद घंटों में मुख्यमंत्री बदल जाते हैं, सरकारें बदल जाती हैं लेकिन महिलाओं की सुरक्षा के लिए कदम उठाने में देरी होती रहती है. सिर्फ़ महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के मामलों में ही अपराध तुरंत दर्ज नहीं होता. बदलापुर के मामले में बच्ची के माता-पिता को कई घंटे पुलिस थाने में बैठाए रखा गया. सरकार और प्रशासन महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है."
बदलापुर रेलवे ट्रैक पर प्रदर्शन करने आई एक ग़ुस्साई महिला ने बीबीसी मराठी से ये बातें कहीं.
कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर का मामला अभी भी लोगों के ज़हन में ताज़ा है और देशभर में इसके विरोध में डॉक्टरों का प्रदर्शन जारी है. इसी बीच दो चार साल की बच्चियों के साथ महाराष्ट्र के ठाणे ज़िले में बदलापुर के स्कूल में हुए कथित यौन शोषण का मामला सामने आया, जिसके बाद से स्थानीय लोगों में महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर आक्रोश है.
महाराष्ट्र के बदलापुर में 16 अगस्त को पीड़ित बच्चियों में से एक के माता-पिता पुलिस थाने में केस दर्ज करवाने पहुंचे. प्रदर्शनकारियों ने दावा किया है कि बच्ची के माता-पिता को 12 घंटे तक इंतज़ार करवाया गया.
बच्ची के माता-पिता और स्थानीय महिलाओं ने मंगलवार यानी 20 अगस्त को प्रदर्शन शुरू किया, जो बाद में हिंसक भी हो गया.
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पुलिस ने ढिलाई बरतने के लिए तीन पुलिसवालों को निलंबित कर दिया गया है.
इस बीच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य के चीफ़ सेक्रेटरी और डीजीपी को दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट दाख़िल करने को कहा है.
'रातोंरात नोटबंदी हो सकती है, तो अभियुक्तों को सज़ा क्यों नहीं?'
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बदलापुर की घटना के बाद से स्थानीय महिलाओं में काफ़ी आक्रोश हैं. ख़ासतौर पर ऐसे समय में जब महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर पहले ही देशव्यापी प्रदर्शन चल रहा है. माता-पिता, स्थानीय लोग और कुछ युवा महिलाओं ने दो नाबालिग बच्चियों के साथ हुए यौन शोषण के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने का निर्णय लिया और 20 अगस्त को सवेरे से स्कूल के आगे धरना देना शुरू कर दिया.
स्कूल के आगे शुरू हुआ ये प्रदर्शन सुबह साढ़े नौ बजे तक 600 मीटर दूर बदलापुर रेलवे स्टेशन तक पहुंच गया. स्थानीय लोग रेलवे ट्रैक तक पहुंच गए, ट्रेन सेवा रोक दी और ये सब अगले आठ घंटों तक ऐसे ही चलता रहा.
जब बीबीसी की टीम बदलापुर रेलवे स्टेशन पहुँची तो उस वक्त तक प्रदर्शनकारियों का हुजूम प्लेटफॉर्म संख्या 1, 2 और 3 पर जुटा हुआ था.
प्रदर्शनकारी रेलवे ब्रिज और सीढ़ियों पर खड़े होकर नारेबाज़ी भी कर रहे थे. इस समय, महिला प्रदर्शनकारी ये आरोप लगा रही थीं कि सरकार महिलाओं की सुरक्षा के मामले पर गंभीर नहीं हैं और पुलिस ने शिकायत दर्ज करने में देरी की.
महिलाएं और अन्य प्रदर्शनकारी अपनी प्रमुख मांग का ज़िक्र करते हुए और आक्रोशित होते गए. उनकी मांग है कि 'अभियुक्त को तत्काल फांसी की सज़ा दी जाए.'
रेलवे ट्रैकों पर महिलाएं अपने हाथों में जो तख्तियां लिए खड़ी थीं, उनपर लिखा था- 'हमें और कितनी मोमबत्तियां जलानी होगी? अब एक्शन लेने की ज़रूरत है!' और 'सरकार का पैसा नहीं (राज्य में लाडली बहन योजना के संदर्भ में), महिलाओं को सुरक्षा दीजिए.'
बीबीसी मराठी से बात करते हुए प्रदर्शनकारी महिलाओं ने केंद्र और राज्य सरकारों के प्रति अपने ग़ुस्से का खुलकर इज़हार किया.
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "सरकार ने हमारे ऊपर नोटबंदी तो कुछ घंटों में थोप दी, सरकार बड़े-बड़े क़ानून ले आई, तो फिर सरकार महिलाओं की सुरक्षा को नज़रअंदाज़ क्यों कर रही है? इस तरह के मामलों में तो अपराधियों को मौत की सज़ा देने का प्रावधान होना चाहिए. चार और पाँच साल की बच्चियों से इसलिए यौन शोषण हुआ क्योंकि अभियुक्त के मन में क़ानून का कोई डर ही नहीं है."
वहां मौजूद एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा, "अब तो हमें अपनी छोटी बच्चियों को स्कूल भेजने में भी डर लगता है. हम अपनी बेटियों को घर से बाहर भेजते समय भी कई बार सोचते हैं कि किस पर भरोसा करें, किस पर नहीं. अब हम बेटियों को स्कूल या कॉलेज कैसे भेजें? क्या सरकार उनकी सुरक्षा की गारंटी देगी?"
शाम चार बजे बदलापुर में बारिश होने लगी पर महिलाओं का ये प्रदर्शन जारी रहा. बारिश में भीगकर भी प्रदर्शनकारी रेलवे ट्रैक पर डटे रहे.
इस प्रदर्शन ने मुंबई में लोकल ट्रेनों की आवाजाही को प्रभावित किया. 10 एक्सप्रेस ट्रेनों को डाइवर्ट किया गया और बदलापुर से करजत के बीच ट्रेन सेवा 10 घंटों तक पूरी तरह ठप रही.
इस बीच राज्य सरकार में मंत्री गिरीश महाजन सरकार की ओर से प्रदर्शनकारियों से बात करने बदलापुर पहुँचे. उन्होंने वहां कई वादे किए पर उन्हें प्रदर्शन रोकने में कोई कामयाबी नहीं मिली.
प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि सरकार केवल फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाने की बातें करती है, लेकिन प्रशासन असल में कोई एक्शन नहीं लेता.
आख़िरकार, पुलिस ने दंगों को नियंत्रित करने वाली एक टीम तैनात की और प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज शुरू कर दिया. शाम छह बजे के आसपास प्रदर्शनकारियों की भीड़ को तितर-बितर किया गया. लाठीचार्ज में कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए.
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पीड़ित बच्ची के माता-पिता ने पुलिस को क्या बताया?
16 अगस्त को बच्ची के माता-पिता ने बदलापुर ईस्ट पुलिस थाने में एक अज्ञात शख़्स के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद पुलिस ने इस मामले में स्कूल के एक सफ़ाईकर्मी को गिरफ़्तार किया.
पुलिस ने दो नाबालिग़ बच्चियों के साथ कथित यौन उत्पीड़न का केस दर्ज किया. ये दोनों बच्चियां नर्सरी में पढ़ती हैं. ये मामला 13 अगस्त का है. ये भी कहा जा रहा है कि दोनों बच्चियों के साथ अलग-अलग दिन कथित यौन उत्पीड़न किया गया.
बीबीसी मराठी को मिली जानकारी के अनुसार, माता-पिता ने पुलिस को बताया कि उनकी साढ़े तीन साल की बच्ची बदलापुर में अपने दादा-दादी के साथ रहती है. जब दादा-दादी को कुछ शक हुआ तो उन्होंने बच्ची की मां को काम से घर आने को कहा.
जब मां ने बेटी से सवाल किया तो बच्ची ने प्राइवेट पार्ट में दर्द बताया और साथ ही स्कूल के सफ़ाईकर्मी के अनुचित बर्ताव की भी जानकारी दी.
इस एक बच्ची से मिली जानकारी के आधार पर ही माता-पिता को ये पता लगा कि दूसरी बच्ची के साथ भी यौन उत्पीड़न हुआ है. इसके बाद उन्होंने 16 अगस्त को पुलिस में शिकायत दी.
माता-पिता ने पुलिस को ये भी जानकारी दी है कि बच्ची की मेडिकल जाँच करवा ली गई, जिसमें उससे यौन शोषण की पुष्टि हुई है.
जाँच के बाद पुलिस ने अभियुक्त के ख़िलाफ़ प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंसेज़ यानी पॉक्सो एक्ट और भारतीय न्याय संहिता की धारा 65(2), 74, 75 तथा 76 के तहत एफ़आईआर दर्ज की.
बच्ची के माता-पिता ने स्कूल प्रशासन पर भी गंभीर आरोप लगाए. नतीजतन स्कूल प्रबंधन ने प्रिंसिपल, एक शिक्षक और एक महिला कर्मी को निलंबित किया है.
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पुलिसकर्मी सस्पेंड, एसआईटी जांच और फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट का वादा
16 अगस्त को बच्चों के माता-पिता जब केस दर्ज करने पुलिस स्टेशन गए, उन्हें 10-11 घंटे तक इंतज़ार करवाया गया. स्थानीय महिलाओं ने दावा किया कि केस दर्ज करने में देरी की गई.
राज्य के गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आरती सिंह की अगुवाई में एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) के गठन के निर्देश दिए हैं.
इसके अलावा तीन पुलिसकर्मियों को ड्यूटी में लापरवाही का हवाला देते हुए सस्पेंड भी किया गया है. बदलापुर थाने के सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर, असिस्टेंट पुलिस सब-इंस्पेक्टर और एक हवलदार को सस्पेंड किया गया है.
राज्य सरकार ने थाणे के पुलिस कमिश्नर से केस के ट्रायल के लिए फ़ास्ट-ट्रैक अदालत के गठन का प्रस्ताव भी मांगा है. इसके अलावा वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम को केस पर निगरानी रखने के लिए कहा गया है.
इस बीच राज्य के शिक्षा विभाग ने कहा है कि वो विशाखा कमेटी का गठन करेंगे ताकि महाराष्ट्र के सभी स्कूलों की बच्चियां यौन उत्पीड़न के मामले को रिपोर्ट कर सकें.
राज्य सरकार में मंत्री दीपक केसरकर ने कहा है कि अगर किसी स्कूल में सीसीटीवी काम नहीं कर रहे होंगे तो सख़्त कार्रवाई की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक विशाखा कमेटी में कार्यस्थल पर हुए यौन उत्पीड़न की शिकायत की जा सकती है. लेकिन बहुत से कार्यस्थलों पर इस कमेटी का या तो गठन ही नहीं होता है या ये कमेटी एक्टिव नहीं होती है.
इसके अलावा राज्य सरकार ने बच्चों की हिफ़ाज़त के लिए सखी सावित्री पैनलों का गठन करने का निर्णय लिया था. इन पैनलों में स्कूल के प्रतिनिधियों के अलावा, वकील, मेडिकल ऑफ़िसर और अभिभावक भी शामिल होते हैं.
लेकिन जनवरी 2024 में चाइल्ड राइट्स कमीशन ने राज्य के शिक्षा विभाग को सूचित किया था कि स्कूलों में सखी सावित्री पैनलों वाले आदेश को लागू नहीं किया जा रहा.
राज्य महिला आयोग ने भी इस घटना का संज्ञान लिया है. कमीशन ने पुलिस से अब तक की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट तलब की है.
स्थानीय नेता का विवादित बयान
प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय नेताओं के प्रति भी अपने गुस्से का इज़हार किया है.
एक महिला पत्रकार ने शिकायत की कि एक स्थानीय नेता ने उनसे चीखते हुए कहा, "आप तो ऐसे न्यूज़ को रिपोर्ट कर रही हो जैसे आपका रेप हुआ हो."
इस रिपोर्टर ने बीबीसी मराठी को बताया कि उस नेता का नाम वामन म्हात्रे है और वे शिव सेना के शिंदे गुट से जुड़े हैं.
लेकिन वामन म्हात्रे ने कुछ मीडिया संस्थानों को बताया है कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित